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प्यार या दोस्ती?

प्यार या दोस्ती हमेशा हमारे लिए खाश होती है तो कई बार हमे प्यार है या सिर्फ दोस्ती ये समाज नहीं आता मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था life मैं पहली बार मैंने किसी लड़की से सामने से बात की थी फिर हम बातो बातो मैं ही दोस्त बने की दोस्ती इतनी ग़हरी हो गई की अब हम हमारी सारी बातें एक दूसरे से sher करने लगे दोस्ती अब और ज्यादा घहराने ही लगी थी की दोस्तों ने उस दोस्ती का गलत मतलब निकला और उसस्के नाम से चिढ़ाने लगे हमने तो कभी प्यार किया ही नहीं था तो हमे पता ही नहीं था की प्यार होता क्या है ? तो हम तो ठहरे सीधे लड़के हमने तो जाकर सीधा पूछ ही लिया " हम दोस्त ही है या दोस्ती से आगे हमारे बिच कुछ और भी है ? वो तो मज़ाक समझ कर हस कर चली गई और अब हमे ऐसा लग रहा था की मानो समंदर मैं जैसे खोई हुई कस्ती को किनारा मिल गया हो और फिर मैं सपनो के सारे पल बांध चूका था हम दोनों अक्षर एक दूसरे से सारी बाते sher किया करते थ