पहला दूसरा प्यार
पहला इश्क़ अगर ज़ख्म हे तो दूसरा इश्क़ मरहम. पहले इश्क़ ने मुझे सिखाया की क्यों प्यार करना चाहिए तो दूसरे इश्क़ ने सिखाया मुझे क्यों प्यार करना चाहिए. नए माज़ा की बोतल खाली हो जाने पर उसमे पानी भर कर पीओ तो लगता हे महक वही फील वही पर स्वाद नहीं होता. अगर पहला प्यार मज़ा हे तो दूसरा प्यार उसमे भरा पानी.
और ये कहानी हे मेरे पहले दूसरे इश्क़ की.
पहली मोहब्बत में बिखर ने के बाद सोचा की अब किसी को घर छोड़ के आने पर पीछे मुड़कर नहीं देखना. अब घडी नहीं पहननी क्युकी अब अगर घडी के काटे किसी के दुपट्टे में उलझे तो शायद सुलझ नहीं पाएंगे. अपने करियर पे ध्यान देना हे और सपनो को तवज्जो देनी हे. तो पढाई की और एग्जाम देने का फैसला कर लिया. एग्जाम की date तय हुई २८ sep शहर मेरा ही बड़ोदा गुजरात का एक शहर.
वान वाला रोज की तरह लेने आया. में बैठा और निकल पड़ा. उस दिन १० में से २,३ ही आये थे जैसे किसी तूफ़ान के पहले की शांति हो.
और एंट्री हुई उनकी मानसी कद 5 फ़ीट सफ़ेद रंग की टॉप और काली पेण्ट कानो में ear phone आखो पे चश्मा और बाल खुले हुए और उसके चेहरे पे बेशुमार cuteness वो ताजमहल सी ही थी जिसे केवल मोहब्बत के लिए बनाया गया हो जिसे देख कर खुश तो हो सकते हो पर अपना नहीं बना सकते.
पर उसके एंटर करते ही सब लड़को ने स्टाइल के मारे अपने बाल सवारने लगे और लड़की ने टच अप करना शुरू कर दिया. पर में अभी किताबोमे उलझा था की वो बोली की "में आपके बाजु में बैठ शक्ति हु" में तो कोई हवाईजाहज में तो बैठा नहीं था की मेरे लिए खिड़की के बहार के बादल important हो मेरे लिए.
तो मेने कहा "ठीक हे बैठिये हमें कोई एतराज़ नहीं हे" और वो बैठ कर खिड़की के बहार देखने लगी और देखते मेरी और मुड़ी और पूछा "तुम writer हो क्या"
मेने कहा "हा, पर आपको कैसे पता"
उन्होंने कहा की "बस पता हे" मेने नहीं पूछा "आप क्या करती हो"
उन्होंने कहा की "बरखुरदार इंट्रोडक्शन के सिलसिले में पहले नाम पूछते हे, तो नाम पूछो पहले" मेने कहा ठीक हे "नाम क्या हे तुम्हारा" उसने कहा "मानसी" और जैसे मानसी रुकी ही नहीं
उन्होंने मुझे सब कुछ बता दिया की धोनी उन्हें कितने पसंद हे और क्लास ८ में उन्होंने सायकल सीखी थी और कैसे २ बार गिरी थी और जैसे उन्हें करेला बिलकुल पसंद नहीं हे. वैसे करेला किसे पसंद हे!
उन्होंने ये भी बताया की coffee उन्हें कितनी पसंद हे. और बताते बताते मुझे पूछा "तुम्हे क्या पसंद हे" मेने कहा "coffee तो नहीं पर चाय के बड़े शौखिन हे"
कैंटीन में जाके मैने चाय ली और उन्होंने coffee ली वो बोली "इसके पैसे?"
हम बोले "धोनी और करके के बिच ये पैसे कहा से आये?" वो "बोली ऐसे ही"
पर हमारे lazy और लापरवाह लोगो की एक कॉम होती हे जो अक्शर बेग से कुछ निकलने के बाद चैन बंद करना भूल जाते हे.
so अब भीड़ बढ़ने लगी कैंटीन में. और वहासे जाने का समय हुआ तो बेग उठाई तो बेग में से मेरी चीज़े फर्श पर जा गिरी, मेने फर्श पे से चीज़े उठाई और निकल गया.
फिर मुझे याद आया की मानसी को अलविदा कहना तो रेहही गया. फिर याद आया की ये भी तो तय किया था की अब पीछे मुड़कर किसी लड़की को नहीं देखना, तो में अपने सेण्टर की तरफ निकल गया.
एग्जाम शुरू होने में एक घंटा था तो मेने बेग से ID,पेंसिल, पेन,
रब्बर, वगेरे निकाला तब की हॉल टिकिट तो हे ही नहीं तो तब मेरे तोते और होश दोनों उड़ गए.
जब एग्जाम एक घंटे में स्टार्ट हो और हॉल टिकट न हो तो टेंसन गॉड लेवल की हो जाती हे.
मेने एग्जाम ऑफिसर्स से बात, beg और request तीनो की पर उन्होंने न बोल दिया.
वहा बैठा ही था की पीछे से आवाज़ आई "कुछ खोज रहे हे राइटर साहेब" मेने पलट के देखा तो मानसी वह खड़ी थी मेरी हॉल टिकट लिए हाथ में.
और उसी पल लगा की यही वो चीज़े हे जिसे में ढूंढ रहा था. वही वो आके मेरे पास वो मेरे कानो में कहती हे. "टेंसन में आप काफी cute लगते हे, all
the best
sir " और वही एग्जाम बेल बजती हे. और में एग्जाम देने जाता ही हु की उन्होंने पीछे से आवाज़ लगाई "मिलना?"
तो मेने कहा "हां वही हम मिलेंगे कैसे?"
तो उन्होंने हस कर बोला "दस्तूर होगा तो हम जरूर मिलेंगे.
एग्जाम के बाद लौटते समय एक ही मकसद था. Instagram
WhatsApp snapchet facebook सब पर कोशिश की पर कही नहीं मिली, हताश हो ही रहा था की facebook पर request आई और तुरंत ही मेसेज आया "दस्तूर" और एक number था.
तो ये एहसास हुआ की जिन्दगीमे मोहब्बत एक बार होती हे तो वो जूठ हे.
मेने उन्हें कहा "ही coffee?"
उन्होंने कहा की "CCD की coffee बढ़िया होती हे आप आएंग ना?"
बात इतनी सी हे की अगली बार कोई खूबसूरत लड़की थोड़ी सी जगह मांगे तो उसे दे देनी चाहिए.
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