मेरी उस चाय से मेरे कॉफी का सफर कुछ यूं हुआ

मेरी उस चाय से मेरे कॉफी का सफर कुछ यूं हुआ
चाय की टपरी से उनका साथ मिला
और कैफ़े में साथ उन्होंने छोड़ा था

फिर कुछ यूं लोग मीले की उस कैफ़े की कॉफी छोड़
फिर एक बार चाय की टपरी पर आया था में
पर आज वो भी चले गए और साथ साथ मुजे दोनो
चाय और कॉफ़ी से इश्क़ करना सीखा गए

पर आज पीछे मुड़ देखता हूँ तो सफर कुछ यूं दिखता है
चाय या कॉफ़ी तो बस बहाना है में मेरी ज़िंदगी मे
कुछ यूं आगे बढ़ गया कि दोस्तों की कड़क चाय से
कब कड़वी कॉफ़ी पर चला गया मुजे मेरा ही पता न चला

अब न चाय न कॉफ़ी चाहिए बस अब मुजे
मेरे दोस्त और वो टपरी चाहिए
हा साथ मुजे उस कैफ़े की शांति चाहिए
ओर हमसफर के साथ एक कॉफी चाहिए

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